
अमर भारती : नेशनल हेराल्ड की अधिकृत वाली एजेएल को दोबारा प्लॉट आवंटित करने के मामले में सीबीआई ने हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एजेएल के अध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। आरोप पत्र आईपीसी की धारा 120बी, 420, 13(2) और 13(1) के तहत केस दर्ज किया गया है।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडी (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट आंवटित करवाया था। इस मामले में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार के आरोप में C ने अप्रैल-2016 में मामला दर्ज किया था।
Motilal Vora on CBI chargesheet against him in connection with re-allotment of institution plot in Panchkula, Haryana: Govt is working with bad intentions.Matter is sub-judice&truth will triumph at last.We’ll give a reply of charge-sheet.There are no irregularities in the matter. pic.twitter.com/Yhk4sCEVVh
— ANI (@ANI) December 1, 2018
एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा को भी सीबीआई ने इस मामले में पार्टी बनाया है। विजिलेंस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर सीबीआई भी जांच कर चुकी है। जांच पूरी करने के बाद राज्य सरकार से अभियोग की मंजूरी मांगी थी।
सरकार ने एडवोकेट जनरल से कानूनी राय लेने के बाद मामले को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की मंजूरी के लिए भेज दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था और राज्यपाल द्वारी इस अभियोजन को पेश करने की मंजूरी दे दी गई थी। ऐसे में अब हुड्डा को इस मामले में भी मुकदमे का सामना करना होगा।
Central Bureau of Investigation has filed a chargesheet against former Haryana CM Bhupinder Singh Hooda, senior Congress leader Motilal Vora and Associated Journals Limited (AJL) in connection with re-allotment of institution plot in Panchkula, Haryana. pic.twitter.com/WZ7LLudv4t
— ANI (@ANI) December 1, 2018
राज्यपाल सत्यदेव नारायण से मंजूरी लेना जरूरी इसलिए था, क्योंकि बदले हुए नियमों के तहत पूर्व सीएम के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी जरूरी है। बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने उन अधिकारियों को दोषी नहीं पाया है, जिनके केस के साथ नाम जुड़े हुए थे।
क्या है पूरा मामला
सीएम चौधरी के सरकार के समय 24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 अलॉट कराया गया। फिर कंपनी को इस प्रोजेक्ट पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था। लेकिन, कंपनी 10 साल में यह कार्य पूरा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था।
फिर 26 जुलाई 1995 को मुख्य प्रशासक हुडा ने एस्टेट ऑफिसर के आदेश के खिलाफ कंपनी की अपील खारिज कर दी गई। 14 मार्च 1998 को कंपनी की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट का अलॉटमेंट बहाली के लिए अपील की। पर 14 मई 2005 को चेयरमैन हुडा ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने का फरमान जारी किया। लेकिन, कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इनकार कर दिया था।
18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर लिए। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया। सीए हुडा ने भी पुरानी रेट पर प्लॉट अलॉट करने के आदेश दिए।
एसोसिएटड जर्नल लिमिटेड के अखबार नेशनल हेराल्ड के लिए पंचकूला में नियमों के विरूध जमीन आवंटन का आरोप है। इस मामले में सतर्कता विभाग ने मई 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर केस दर्ज किया गया है। यह मामला हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की शिकायत पर दर्ज हुआ है। हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) को करीब 62 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप लगाया गया है।
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